कहना कठिन तुम्हीं पे मेरा एतबार क्यूँ है
अबतक न मिल सके तो ये इन्तजार क्यूँ है
अबतक न मिल सके तो ये इन्तजार क्यूँ है
जब उम्र आधी गुज़री क्या इश्क समझ पाया
बेचैन सोच करके दिल में बहार क्यूँ है
हर पल तुम्हारी यादें जागूँ भला या सोऊँ
आँखों में तेरी सूरत सपनों में प्यार क्यूँ है
इकरार-ए-मुहब्बत का तुमसे यकीन मुझको
जब इश्क है परस्पर इतना विचार क्यूँ है
अब देर भला कैसी इजहारे मुहब्बत में
दीवानगी सुमन के सर पे सवार क्यूँ है
जब इश्क है परस्पर इतना विचार क्यूँ है
अब देर भला कैसी इजहारे मुहब्बत में
9 comments:
आदरणीय श्यामल सुमन जी
नमस्कार !
......बहुत उम्दा रचना है सर,
दिल की गहराईयों को छूने वाली बेहद खूबसूरत गज़ल
ये दीवानगी सवार रहे,
मन में जो आये, कहे।
कहना कठिन तुम्हीं पे मेरा एतबार क्यूँ है
अबतक न मिल सके तो ये इन्तजार क्यूँ है
kya khoob....lajbab...
बहुत ही सुन्दर
Behtreen gajal likhi hai sir ji apne............
Jai hind jai bharat
aaderniy shyamal ji..pahli baar aapke blog pe aana hua.accha laga..is shandar ghazal ke liye badhai...kabhi apne vyasttam kshdon se kuch pal nikalkar aaiyega mere blog pe ..apka swagat hai
सुंदर प्रस्तुति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
बहुत ही सुंदर ग़ज़ल...
हर पल तुम्हारी यादें जागूँ भला या सोऊँ
आँखों में तेरी सूरत सपनों में प्यार क्यूँ
AISA KYON
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