समझदार की भीड़ सामने एक सुमन नादान है क्या
मन्दिर मस्जिद गिरिजाघर में पूछो तो भगवान है क्या
पालनहार वही जब सबका मरते भूखे लोग कई
बेबस होकर सोच रहा मन ये उनकी सन्तान है क्या
दरगाहों में या मन्दिर में लाखों लोग किनारे हैं
बड़े लोग के स्वागत में सब, भगवन का मेहमान है क्या
कुछ नाकाबिल लोगों को भी प्रायोजित सम्मान मिले
ऐसे लोगों को दुनिया में मिल पाती पहचान है क्या
होते जोड़ घटाव हमेशा पाप पुण्य परिमाणों में
सत्कर्मों से हटकर लगता जीवन इक दुकान है क्या
मन्दिर मस्जिद गिरिजाघर में पूछो तो भगवान है क्या
पालनहार वही जब सबका मरते भूखे लोग कई
बेबस होकर सोच रहा मन ये उनकी सन्तान है क्या
दरगाहों में या मन्दिर में लाखों लोग किनारे हैं
बड़े लोग के स्वागत में सब, भगवन का मेहमान है क्या
कुछ नाकाबिल लोगों को भी प्रायोजित सम्मान मिले
ऐसे लोगों को दुनिया में मिल पाती पहचान है क्या
होते जोड़ घटाव हमेशा पाप पुण्य परिमाणों में
सत्कर्मों से हटकर लगता जीवन इक दुकान है क्या
6 comments:
श्यामल
आशीर्वाद
पालनहार वही जब सबका मरते भूखे लोग कई
बेबस होकर सोच रहा मन ये उनकी सन्तान है क्या
अश्रुपूर्ण
भूखे निर्धन की रोटी कपडे से सहायता करें
धन से तिजोरियां भर साथ कोई ले जाता है क्या
ऐसे लोगों को दुनिया में मिल पाती पहचान है क्या
इस समय का वबुत बड़ा सच..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
☺☺
बहुत खूब ...
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - कहीं छुट्टियाँ ... छुट्टी न कर दें ... ज़रा गौर करें - ब्लॉग बुलेटिन
बेहतरीन पंक्तिया
साधुवाद🙏🏼
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