प्रायः जो सरकारी लोग
आज बने व्यापारी लोग
लोकतंत्र में बढ़ा रहे हैं
प्रतिदिन ये बीमारी लोग
आमलोग के अधिकारों को
छीन रहे अधिकारी लोग
राजनीति में जमकर बैठे
आज कई परिवारी लोग
तंत्र विफल है आज देश में
भोग रहे बेकारी लोग
जय जयकार उन्हीं की होती
जो हैं अत्याचारी लोग
पढ़े लिखे भी अब सडकों पर
बेच रहे तरकारी लोग
मानवता को भूल, धर्म पर
करते मारामारी लोग
चमन सुमन का जल ना जाए
शुरू करें तैयारी लोग
आज बने व्यापारी लोग
लोकतंत्र में बढ़ा रहे हैं
प्रतिदिन ये बीमारी लोग
आमलोग के अधिकारों को
छीन रहे अधिकारी लोग
राजनीति में जमकर बैठे
आज कई परिवारी लोग
तंत्र विफल है आज देश में
भोग रहे बेकारी लोग
जय जयकार उन्हीं की होती
जो हैं अत्याचारी लोग
पढ़े लिखे भी अब सडकों पर
बेच रहे तरकारी लोग
मानवता को भूल, धर्म पर
करते मारामारी लोग
चमन सुमन का जल ना जाए
शुरू करें तैयारी लोग
11 comments:
सचमुच यही दशा है
बहुत सुन्दर..........
गहन भाव और लय बद्ध भी...
अनु
तंत्र विफल है आज देश में
भोग रहे बेकारी लोग
बहुत सुन्दर सटीक लिखा है हर शेर सच्चाई बयां कर रहा है ...वाह
पढ़े लिखे भी अब सडकों पर
बेच रहे तरकारी लोग
सही बात हर शेर आज की कहानी कह रहा है।
पढ़े लिखे भी अब सडकों पर
बेच रहे तरकारी लोग
मानवता को भूल, धर्म पर
करते मारामारी लोग
आज की आत्मकथा का सच
बहुत ढंग से धोया है आपने..
देश की परिस्थिति को बयान करते हुए सभी शेर लाजवाब .....
"आज देश की हालत ऐसी
फिर क्या है लाचारी लोग "
क्या बात है वाह!
आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 09-07-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-935 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
वाह क्या बात है.बहुत सुन्दर रचना.
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
सुन्दरता से हालात को बयाँ किया है..
सहे चले जा रहे ज्यादती
दिखा रहे लाचारी लोग ।
बढिया सटीक और सामयिक प्रस्तुति ।
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