Monday, November 11, 2013

आएगा इक नया सबेरा

भूख लिखेंगे प्यास लिखेंगे
जो जैसा इतिहास लिखेंगे

लोग समझ ले आसानी से
बातें वैसी खास लिखेंगे

टूट रहे, हरपल लोगों में
आपस का विश्वास लिखेंगे

भोग रही जो बारह आने
जनता का संत्रास लिखेंगे

ये हालात बनाये जिसने
उसका भी उपहास लिखेंगे

आएगा इक नया सबेरा
है लोगों में आस लिखेंगे

नयी चेतना लाने खातिर
सबका सुमन प्रयास लिखेंगे

8 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 13/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!

अजय कुमार झा said...

सरल , सुंदर मगर बहुत प्रभाव छोडने वाली श्यामल जी । बहुत ही उम्दा

Amit Chandra said...

बेहतरीन.

मेरा मन पंछी सा said...

सुन्दर भाव जगाती बेहतरीन रचना..
:-)

आशीष अवस्थी said...

बहुत सुन्दर व शालीन रचना , बहुत बढ़िया श्यामल भाई
नया प्रकाशन --: जानिये क्या है "बमिताल"?

दिगम्बर नासवा said...

छोटी बहर के प्रभावी शेर ... उम्दा गज़ल ...

Anju (Anu) Chaudhary said...

सरलता से समझ आने वाली हर बात लिखेगें

श्यामल सुमन said...

आपने रचना के प्रचार प्रसार हेतु प्रयास किया यशवन्त यश जी - हार्दिक धन्यवाद। आप सबकी प्रतिक्रियायें प्रेरक और उत्साहवर्धक है - हार्दिक धन्यवाद अजय कुमार झा जी, अमित चन्द्रा जी, आशीष जी, दिगम्बर नासवा जी, अंजू चौधरी जी

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