सालों साल चले हैं सँग सँग मिला कभी आघात नहीं
बाहर से तो हँसी खुशी पर भीतर वैसी बात नहीं
कुछ कुछ खालीपन सा क्यूँ है आज मिलन की बेला में
आपस के जज्बात समझने के बनते हालात नहीं
बोझ नहीं अपनापन होता सहज भाव स्वीकार करो
महसूसो जिसमें अपनापन खुलकर उससे प्यार करो
खून के रिश्तों से सम्भव कि खुद की दूरी बढ़ जाए
मगर हजारों आस पास हैं, उनको अंगीकार करो
जीवन एक अबूझ पहेली जिसकी अलग रवानी है
अपने ढँग से बयां करे सब, सबकी नयी कहानी है
प्यार लुटाते लोग जहाँ पर अक्सर घाव वहीं मिलता
सच मानो कि उन घावों की दिल पर अभी निशानी है
भटक रहा है मन ऐेसे कि लगता कोई बादल है
मन के दरवाजे पर जग ने लगा दिया इक साँकल है
अपने मन की सुनो ना सुनो दुनिया की सुननी होगी
तड़पोगे तो लोग कहेंगे देख सुमन भी पागल है
बाहर से तो हँसी खुशी पर भीतर वैसी बात नहीं
कुछ कुछ खालीपन सा क्यूँ है आज मिलन की बेला में
आपस के जज्बात समझने के बनते हालात नहीं
बोझ नहीं अपनापन होता सहज भाव स्वीकार करो
महसूसो जिसमें अपनापन खुलकर उससे प्यार करो
खून के रिश्तों से सम्भव कि खुद की दूरी बढ़ जाए
मगर हजारों आस पास हैं, उनको अंगीकार करो
जीवन एक अबूझ पहेली जिसकी अलग रवानी है
अपने ढँग से बयां करे सब, सबकी नयी कहानी है
प्यार लुटाते लोग जहाँ पर अक्सर घाव वहीं मिलता
सच मानो कि उन घावों की दिल पर अभी निशानी है
भटक रहा है मन ऐेसे कि लगता कोई बादल है
मन के दरवाजे पर जग ने लगा दिया इक साँकल है
अपने मन की सुनो ना सुनो दुनिया की सुननी होगी
तड़पोगे तो लोग कहेंगे देख सुमन भी पागल है
5 comments:
बढ़िया मुक्तक !
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !
नई पोस्ट आओ हम दीवाली मनाएं!
जीवन एक अबूझ पहेली जिसकी अलग रवानी है
अपने ढंग से बयां करे सब सबकी नयी कहानी है
प्यार लुटाता सुमन जहाँ पर अक्सर घाव वहीं देता
सच कहता हूँ उन घावों की दिल पर अभी निशानी है
बढिया रचना.. बधाई
आ० रविकर जी आ० कालीपद प्रसाद जी - आपके सकारात्मक समर्थन के बहुत मायने हैं मेरे लिए - विनम्र आभार
बेहतरीन अभिवयक्ति.....
आ० सुषमा आहुति जी - आपकी सार्थक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक धन्यवाद
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