मौसम को बर्बाद न कर
बाँहों से आजाद न कर
कितने कम पल खुशियों के
जी ले पर अवसाद न कर
किसने समझा जीवन को
नित चिन्ता आ बाद न कर
बुरे दिनों से सीखो पर
गम को हरदम याद न कर
बात प्रणय की आँखों से
होठों से सम्वाद न कर
प्रेम सही तो ईश मिले
उनसे भी फरियाद न कर
भाव सुमन के हैं कैसे
सब रचना पे दाद न कर
6 comments:
आपकी लिखी रचना शनिवार 12 जुलाई 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (12-07-2014) को "चल सन्यासी....संसद में" (चर्चा मंच-1672) पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
waah !
बहुत सुन्दर .....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
प्यार की खुबसूरत अभिवयक्ति....
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