जो दिखती रंगीन जिन्दगी
वो सच में है दीन जिन्दगी
बचपन, यौवन और बुढ़ापा
होती सबकी तीन जिन्दगी
यौवन मीठा बोल सके तो
नहीं बुढ़ापा हीन जिन्दगी
जीते जो उलझन से लड़ के
उसकी है तल्लीन जिन्दगी
वही छिड़कते नमक जले पर
जिसकी है नमकीन जिन्दगी
दिल से हाथ मिले आपस में
होगी क्यों गमगीन जिन्दगी
जो करता है प्यार सुमन से
वो जीता शौकीन जिन्दगी
वो सच में है दीन जिन्दगी
बचपन, यौवन और बुढ़ापा
होती सबकी तीन जिन्दगी
यौवन मीठा बोल सके तो
नहीं बुढ़ापा हीन जिन्दगी
जीते जो उलझन से लड़ के
उसकी है तल्लीन जिन्दगी
वही छिड़कते नमक जले पर
जिसकी है नमकीन जिन्दगी
दिल से हाथ मिले आपस में
होगी क्यों गमगीन जिन्दगी
जो करता है प्यार सुमन से
वो जीता शौकीन जिन्दगी
2 comments:
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13-08-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2066 में दिया जाएगा
धन्यवाद http://manoramsuman.blogspot.com/2015/08/blog-post_23.html
बहुत बढ़िया
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