जीवन पथ अंगार मुसाफिर,
खाते कितने खार मुसाफिर
जीवटता संग होश जोश तो,
बाँटो सबको प्यार मुसाफिर
दुखिया है संसार मुसाफिर,
नैया भी मझधार मुसाफिर
आपस में जब हाथ मिलेंगे,
होगा बेड़ा पार मुसाफिर
प्रेम जगत आधार मुसाफिर,
फिर काहे तकरार मुसाफिर
संविधान ने दिया है सबको,
जीने का अधिकार मुसाफिर
करते जिसको प्यार मुसाफिर,
दे अक्सर दुत्कार मुसाफिर
फिर जाने कैसे बदलेगा,
दुनिया का व्यवहार मुसाफिर
कहती है सरकार मुसाफिर,
जाति धरम बेकार मुसाफिर
मगर लड़ाते इसी नाम पर,
सत्ता-सुख साकार मुसाफिर
खुद पे कर उपकार मुसाफिर,
जी ले पल पल प्यार मुसाफिर
देख जरा मन की आँखों से,
जीवन है श्रृंगार मुसाफिर
चाहत सबकी प्यार मुसाफिर,
पर दुनिया बीमार मुसाफिर
प्रेमी - सुमन जहाँ दो मिलते,
मिलती है फटकार मुसाफिर
2 comments:
bahut sundar
बहुत खूब , शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन
कभी यहाँ भी पधारें
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