Friday, April 17, 2015

आँसू में नहाने आ जाओ

गफलत में जीने वालों के एहसास जगाने आ जाओ
पलकें जागी जो सदियों से एकबार सुलाने आ जाओ
जब तुम से हुई जुदाई तो आँसू ने साथ नहीं छोड़ा
इक बार गुजारिश मेरे संग आँसू में नहाने आ जाओ
मिल जाते सपनों में आकर ये मिलना भी क्या मिलना है
इक आग विरह की दिल में जो उसको सुलगाने आ जाओ
मजबूर हैं हम मजबूर हो तुम ये जीना भी क्या जीना है
ऐसी तैसी मजबूरी की दुनिया को दिखाने आ जाओ
जो साथ सुमन का ना पाया वो कीमत इसकी क्या जाने
है दिल से खुशामद प्रियतम से इक बार सताने आ जाओ

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