अब तलक शायद किया है वक्त यूँ बर्बाद ही
खुद को भूला और उनको बस किया है याद ही
एक ही चाहत है अपनी उनको सब खुशियाँ मिले
और चाहत है नहीं कुछ ना किया फरियाद ही
ऐसा लगता एक दूजे को समझने हम लगे
सारी बातें आँख से बस ना किया सम्वाद ही
सोच सबकी है अलग और ढंग जीने का अलग
ना कभी साधु बना और ना बना सैय्याद ही
बीज और माटी के मिलने से सुमन मुमकिन खिले
दिल नहीं अपना है बंजर, ना हुआ आबाद ही
खुद को भूला और उनको बस किया है याद ही
एक ही चाहत है अपनी उनको सब खुशियाँ मिले
और चाहत है नहीं कुछ ना किया फरियाद ही
ऐसा लगता एक दूजे को समझने हम लगे
सारी बातें आँख से बस ना किया सम्वाद ही
सोच सबकी है अलग और ढंग जीने का अलग
ना कभी साधु बना और ना बना सैय्याद ही
बीज और माटी के मिलने से सुमन मुमकिन खिले
दिल नहीं अपना है बंजर, ना हुआ आबाद ही
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