गीत विरह के कोई गाता, कोई गीत मिलन के।
छोड़ यहाँ पर सबको जाना, इक दिन पास सजन के।
फिर क्यों इतनी मारामारी?
काहे व्याकुल दुनिया सारी??
लोग अधिकतर मान रहे कि भोग में सुख हैं सारे।
जिसका जीवन त्यागी होता, अक्सर आज किनारे।
भला देखते क्यूँ धरती से, झूठे ख्वाब गगन के?
छोड़ यहाँ पर सबको -----
किसे मान लूँ अपना यारो दिल में आज बसा के।
मुमकिन आँसू भी अभिनय के होते कई ठहाके।
फिर अपनापन कैसे होगा, आपस में जन जन के?
छोड़ यहाँ पर सबको -----
दुनिया बसती प्यार से हरदम, जब होते सब प्यारे।
लेकिन अब दुश्मन सा बनकर, इक दूजे को मारे।
कैसे फिर ये बचेगी दुनिया, दिल में खौफ सुमन के?
छोड़ यहाँ पर सबको -----
छोड़ यहाँ पर सबको जाना, इक दिन पास सजन के।
फिर क्यों इतनी मारामारी?
काहे व्याकुल दुनिया सारी??
लोग अधिकतर मान रहे कि भोग में सुख हैं सारे।
जिसका जीवन त्यागी होता, अक्सर आज किनारे।
भला देखते क्यूँ धरती से, झूठे ख्वाब गगन के?
छोड़ यहाँ पर सबको -----
किसे मान लूँ अपना यारो दिल में आज बसा के।
मुमकिन आँसू भी अभिनय के होते कई ठहाके।
फिर अपनापन कैसे होगा, आपस में जन जन के?
छोड़ यहाँ पर सबको -----
दुनिया बसती प्यार से हरदम, जब होते सब प्यारे।
लेकिन अब दुश्मन सा बनकर, इक दूजे को मारे।
कैसे फिर ये बचेगी दुनिया, दिल में खौफ सुमन के?
छोड़ यहाँ पर सबको -----
1 comment:
बहुत सुंदर रचना.
साझा करने हेतु धन्यवाद.
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