सभी राजनीतिक पार्टियों में
एक दूसरे को गरियाने की होड़ लगी है।
भक्तजन तालियाँ बजाकर खुश हैं
और जनता ठगी की ठगी है।
वायदे, आश्वासन, प्रलोभन में फँसकर,
हमने जब जब जिसे जिताया है।
इतिहास साक्षी है कि उसी ने शासक बनकर,
आमलोगों को लूटा और सताया है।
किस्मत की बात मानकर,
बहुतेरे शांत हैं, ऐसा दिखता है।
परन्तु यह भी उतना ही सच है कि
इन्सान अपनी किस्मत अपने ही लिखता है।
तो फिर देर क्यों साथियों? जागो!
पहचानो अपनी ताकत को।
सालोंसाल की गन्दगी हटाकर,
स्वच्छ करो सियासत को।
जहाँ संविधान हो, आजादी हो,
नहीं किसी का डर हो।
बराबरी के साथ सभी सुमन को,
खिलने का नित नया अवसर हो।
एक दूसरे को गरियाने की होड़ लगी है।
भक्तजन तालियाँ बजाकर खुश हैं
और जनता ठगी की ठगी है।
वायदे, आश्वासन, प्रलोभन में फँसकर,
हमने जब जब जिसे जिताया है।
इतिहास साक्षी है कि उसी ने शासक बनकर,
आमलोगों को लूटा और सताया है।
किस्मत की बात मानकर,
बहुतेरे शांत हैं, ऐसा दिखता है।
परन्तु यह भी उतना ही सच है कि
इन्सान अपनी किस्मत अपने ही लिखता है।
तो फिर देर क्यों साथियों? जागो!
पहचानो अपनी ताकत को।
सालोंसाल की गन्दगी हटाकर,
स्वच्छ करो सियासत को।
जहाँ संविधान हो, आजादी हो,
नहीं किसी का डर हो।
बराबरी के साथ सभी सुमन को,
खिलने का नित नया अवसर हो।
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