बहस सुना टीवी पर मनुवा खिन्न हुआ
पहले से अब लोकतंत्र भी भिन्न हुआ
जो जो भ्रष्टाचार मिटाने को आए
भ्रष्टाचारी उनका मित्र अभिन्न हुआ
सपन - सुनहरे दिखा जो आए सत्ता में
अक्सर साबित खतरनाक वो जिन्न हुआ
मिलती जीत हमेशा धनबल, भुजबल से
गुणवानों को इस चुनाव से घिन्न हुआ
सामाजिक समरसता दौलत है अपनी
लगता सुमन अभी तो वो भी छिन्न हुआ
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