Saturday, February 22, 2020

आंखों से पैगाम मिला है

अब जा कर आराम मिला है
करने को कुछ काम मिला है

था वसंत जो अबतक फीका
आंखों से पैगाम मिला है

वक्त प्यार के कम होते पर
मुझको आठो याम मिला है

पानी भरा गिलास भले हो
लगा छलकता जाम मिला है

जाम प्यार का पी ले उसको
जीवन रंग तमाम मिला है

लगता रावण की बस्ती में
मुझे अचानक राम मिला है

खुशबू बांटो डूब प्यार में
तुझे सुमन जो नाम मिला है

6 comments:

Ravindra Singh Yadav said...

नमस्ते,

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में रविवार 23 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!


Gurminder Singh said...

खुशबू बांटो डूब प्यार में
तुझे सुमन जो नाम मिला है

Gurminder Singh said...

खुशबू बांटो डूब प्यार में
तुझे सुमन जो नाम मिला है.

उम्दा शेर है।

शुभा said...

वाह!बहुत खूब!

मन की वीणा said...

खुशबू बांटो डूब प्यार में
तुझे सुमन जो नाम मिला है।
बहुत सुंदर सृजन।

Sudha Devrani said...

वाह!!!
बहुत ही सुन्दर....लाजवाब
लगता रावण की बस्ती में
मुझे अचानक राम मिला है

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