Tuesday, June 8, 2021

बाज नहीं आए आदत सेे

जिसे कहा तू जी हिम्मत से,
उसे दबाते हो ताकत से।

मरनेवालों की संख्या तक,
बता रहे अपनी चाहत से!

दमन सत्य का कर पाओगे?
निकलेगा वो हर बाबत से।

देखो, नदियाँ लाश उगलतीं,
हो मजबूर तेरी फितरत से।

लाशों पर से कफन खिंचाई,
बाज नहीं आए आदत से!

राम नाम को खूब भुनाया,
बचे नहीं फिर भी आफत से।

डरो खुदा से सुमन वक्त है,
सब होता उसकी रहमत से।

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