Thursday, April 4, 2024

पर किसने हक दिया आपको?

जिसको कहते आप बड़े हैं। 
वही सहारे लिए खड़े हैं।
इसमें नहीं बुराई खुद का, खुद से ही गुणगान करें। 
पर किसने हक दिया आपको, दूजे का अपमान करें।

माहिर हैं वो रबड़ के जैसे, बातों का विस्तार करें। 
लेकिन वो परदे के पीछे, चारण - सा व्यवहार करें।
तथाकथित ये बड़े लोग जो, नहीं किसी का मान करें।
पर किसने हक -----

खुद की बड़ाई,पर-निन्दा से, कहाँ मिली फुर्सत इनको। 
लोग बुलाएँ, मध्य बिठाएँ, दिल में ये चाहत इनको।
जो भी इनकी पीठ खुजाते, बस उनका सम्मान करें। 

सबकी अपनी प्रतिभा होती, और सभी के मोल बड़े। 
न्याय सदा जग निर्मम करता, बोल रहे क्यों बोल बड़े। 
पास बुलाओ जो पीछे हैं, नहीं सुमन नुकसान करें। 
पर किसने हक -----

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