Monday, June 2, 2025

बिना प्यार के जर्जर होता

घर  के  भीतर  जब घर होता 
तब   रहने  में  भी  डर   होता 

आलीशान  महल  हों  जितने 
बिना  प्यार  के   जर्जर  होता 

अनुशासन बिन घर, मकान है
वहाँ कलह भी दिन भर होता 

बढ़ता  प्यार  अगर आपस में
सहभोजन जब अक्सर होता 

मान मिले उनको जिनके घर
मुखिया का नित आदर होता

क्रोधित  होकर  भूल छुपाना
घर - घर  में  यूँ  कायर  होता 

सुमन वही घर बचता जिसमें 
सबका   मोल  बराबर  होता

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