Monday, June 23, 2025

माता! बनने लगी कुमाता

माता! बनने लगी कुमाता।
पता नहीं क्या क्या दिखलाये, जग में और विधाता??
माता! बनने -----

एक  सास  बेटी  के  घर  में,  घुसकर  प्रेम  बिगाड़े।
दूजा  सास  बहू  को  घर  में,  खोजे   दोष  लताड़े।
अक्सर घर में द्वेष-जलन से, धुआँ भी बाहर आता।।
माता! बनने -----

हत्यारिन  माँ  सन्तानों  की, खबरें जब तब आतीं। 
अपने   प्रेमी   सँग   बेटी  से,   दुराचार   करवातीं।
अब दिखते हैं रात में सूरज, दिन में चाँद दिखाता।।
माता! बनने -----

परिजन  में  हो  प्रेम  सहज तो, घर-परिवार बसेगा।
फिर बेहतर सामाजिक जीवन, को आधार मिलेगा।।
प्रेम आपसी बहुत कीमती, सबको सुमन सिखाता।।
माता! बनने -----

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