मन में झंझावात नहीं
पर आपस में बात नहीं
भाव नहीं चेहरे पर दिखते
क्या दिल में जज्बात नहीं
मौसम हो बारिश का चाहे
आँखों में बरसात नहीं
जिम्मेवारी की उलझन में
आती वैसी रात नहीं
मनमाफिक हालात बना ले
ये सबकी औकात नहीं
आसानी से अक्सर कहते
वैसे अब हालात नहीं
सुमन हृदय में अपनापन ले
आती अब बारात नहीं
पर आपस में बात नहीं
भाव नहीं चेहरे पर दिखते
क्या दिल में जज्बात नहीं
मौसम हो बारिश का चाहे
आँखों में बरसात नहीं
जिम्मेवारी की उलझन में
आती वैसी रात नहीं
मनमाफिक हालात बना ले
ये सबकी औकात नहीं
आसानी से अक्सर कहते
वैसे अब हालात नहीं
सुमन हृदय में अपनापन ले
आती अब बारात नहीं
7 comments:
बेहतरीन,सुंदर गजल !
RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
सुंदर रचना के लिये ब्लौग प्रसारण की ओर से शुभकामनाएं...
आप की ये खूबसूरत रचना आने वाले शनीवार यानी 19/10/2013 को ब्लौग प्रसारण पर भी लिंक की गयी है...
सूचनार्थ।
बहुत सुन्दर ग़ज़ल
नई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
latest post महिषासुर बध (भाग २ )
बहुत बढ़िया ग़ज़ल |
मेरी नई रचना:- "झारखण्ड की सैर"
sundar rachna .. shubhkamnaye :)
bahut sundar gazal hai
mere blog par bhi aap sabhi ka swagat hai.
http://iwillrocknow.blogspot.in/
कह बहरों से गहरी बातें।
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