Thursday, December 29, 2011

सीखो जाकर अन्धों से

जीवन तो जीना पड़ता है, चलता ना अनुबन्धों से
मनमानी ना होने पाये, शासित है प्रतिबन्धों से

सोच समझकर कदम बढ़ाते, अनहोनी फिर भी होती
हरदम कोशिश रखें दूर हम, जीवन को दुर्गन्धों से

सीख लिया है जिसने जो भी, उतनी बात किये जाते
हाथी कैसा होता यारो, सीखो जाकर अन्धों से

भूख, गरीबी, बीमारी है, दवा नहीं पर बाढ़ यहाँ
डूब रहे लोगों की हालत, पूछ रहे तटबन्धों से

जो करते इन्साफ आजकल, वही प्रश्न के घेरे में
सिंहासन पर पंच जो बैठे, रहें दूर सम्बन्धों से

पाते ही सत्ता को प्रायः, होते हैं मदमस्त सभी
देश बढेगा नैतिकता से, न पढ़ के सौगन्धों से

समझ कहाँ पाया जीवन को, लेकिन जीवन बीत रहा
फिर से बचपन खोज सुमन की, यादों भरी सुगन्धों से

18 comments:

गुड्डोदादी said...

श्यामल
आशीर्वाद
जीवन तो जीना पड़ता है, ना चलता अनुबन्धों से मनमानी जीवन में हो ना, शासित है प्रतिबन्धों से

कविता में जीवन का सार
धन्यवाद

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति|

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ|

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति|

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ|

रश्मि प्रभा... said...

ब्लॉग बुलेटिन की इस ख़ास पेशकश :- २०११ के इस अवलोकन को मैं एक पुस्तक का रूप दूंगी , लिंकवाली पूरी रचना होगी ... यदि आप में से किसी को आपत्ति हो तो यहाँ या फिर मेरी ईमेल पर स्पष्ट कर दें ... और हाँ किसी को यह पुस्तक उपहार स्वरुप नहीं दी जाएगी ....अतः इस आधार पर निर्णय लें ... मेरा ईमेल है :- rasprabha@gmail.com .

गुड्डोदादी said...

.











.








.





..






..






..






..






..












Guddo Dadi
मुखपृष्ठ










.

..















Guddo Dadi

नहीं सुमन सौगन्धों से

जीवन तो जीना पड़ता है, ना चलता अनुबन्धों से
मनमानी जीवन में हो ना, शासित है प्रतिबन्धों से

भले सोचकर कदम बढायें, अनहोनी होती रहतीं
फिर भी कोशिश दूर रखें हम, जीवन को दुर्गन्धों से

प्यार हुआ पहला तबतक में, उमर प्यार की बीत गयी
गाते गीत जुदाई के फिर, जा कर के तटबन्धों से

जो करते इन्साफ आजकल, वही प्रश्न के घेरे में
यहाँ पंच जो सिंहासन पर, दूर रहें सम्बंधों से

सत्ता को पाते ही अक्सर, होते हैं मदमस्त सभी
देश बढेगा नैतिकता से, नहीं सुमन सौगन्धों से

kavi shayamal jee kee anumati se
पसंद · · पोस्ट अनुगमन रोकें · लगभग एक घंटा पहले
Niharika Bansal, Nirupama Varma, Mukul Kumar और 4 अन्य को यह पसंद है..

Vishnu Tiwari bahut satay.
56 मिनट पहले · पसंद.

Sujata Mongia भले सोचकर कदम बढायें, अनहोनी होती रहतीं
फिर भी कोशिश दूर रखें हम, जीवन को दुर्गन्धों से.....Nameste Dadi Ji...
55 मिनट पहले · पसंद · 1.
Niharika Bansal प्रणाम दादी माँ !!
बहुत सुन्दर रचना ....वाह ,,
19 मिनट पहले · पसंद.

Ashvani Sharma जय जय दादी
14 मिनट पहले · पसंद.
अजय कुमार झा खूबसूरत बात
7 मिनट पहले

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत सुन्दर, आपको नव-वर्ष की मंगलमय कामनाये !

kshama said...

जो करते इन्साफ आजकल, वही प्रश्न के घेरे में
यहाँ पंच जो सिंहासन पर, दूर रहें सम्बंधों से
Gazab kee rachana hai!

Unknown said...

बाप बेटा पंच , बरदा के दाम दू टाका . ये तो लगा ही रहता है । बढियाँ कटाक्ष ।

विभूति" said...

बेहतरीन........आपको नववर्ष की शुभकामनायें

Urmi said...

प्यार हुआ पहला तबतक में, उमर प्यार की बीत गयी
गाते गीत जुदाई के फिर, जा कर के तटबन्धों से...
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! लाजवाब एवं उम्दा कविता! बधाई!

Prakash Jain said...

Wah...Behtareen....
Superb rhyme followed...

www.poeticprakash.com

प्रवीण पाण्डेय said...

हाथी का वर्णन सुनते हैं, मिलकर कितने अंधों से।

अनामिका की सदायें ...... said...

jiwan ko sanmarg deti vichaarneey post.

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया सर!

नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।


सादर

सदा said...

बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

नववर्ष की अनंत शुभकामनाओं के साथ बधाई ।

Mamta Bajpai said...

बहुत सुन्दर रचना

सूर्यकान्त गुप्ता said...

नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें॥ बेहतरीन प्रस्तुति!

ASHOK BAJAJ said...

नव-वर्ष 2012 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!