एक भाव गीतों के मुमकिन, कहने का अंदाज़ अलग है
कल कैसा था क्या कल होगा, इन बातों से आज अलग है
कल कैसा था क्या कल होगा, इन बातों से आज अलग है
बिकतीं अक्सर आज कलम भी, कीमत भले अलग होती है
दाम जिसे ज्यादा मिल जाता, फिर बदली आवाज अलग है
अगर किसी की लुटती अस्मत, चर्चाएं उसके मजहब की
हिन्दू-मुस्लिम मत समझाओ, क्या बिटिया की लाज अलग है
यूँ तो शासक बदले अक्सर, मगर तंत्र क्या बदल सका है
मंत्र, तंत्र का ये समझा कि, राज वही पर साज अलग है
सच लिखने की हिम्मत है तो, फिर लिखने का हक है तुझको
सुमन राग-दरबारी लिखकर, मिलने वाला ताज अलग है
दाम जिसे ज्यादा मिल जाता, फिर बदली आवाज अलग है
अगर किसी की लुटती अस्मत, चर्चाएं उसके मजहब की
हिन्दू-मुस्लिम मत समझाओ, क्या बिटिया की लाज अलग है
यूँ तो शासक बदले अक्सर, मगर तंत्र क्या बदल सका है
मंत्र, तंत्र का ये समझा कि, राज वही पर साज अलग है
सच लिखने की हिम्मत है तो, फिर लिखने का हक है तुझको
सुमन राग-दरबारी लिखकर, मिलने वाला ताज अलग है
5 comments:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आप,आप, आप और आप - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (25-06-2018) को "उपहार" (चर्चा अंक-3012) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
आप के कहे संदेश को समर्थन लेकिन सुमन जी माफ़ी सहित लेकिन अब बलात्कार की घटनाओ के लिए , लाज इज्जत अस्मत जैसे शब्द नहीं लिखना चाहिए | इससे पीड़ित पर सामाजिक दबाव पड़ता है कि उसने कोई अपराध कर दिया है अब वो समाज में इज्जत के लायक नहीं रही |
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २५ जून २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति मेरा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' २५ जून २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीय 'प्रबोध' कुमार गोविल जी से करवाने जा रहा है। जिसमें ३३४ ब्लॉगों से दस श्रेष्ठ रचनाएं भी शामिल हैं। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
वाह ! वाकई कहने का अंदाज अलग है
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