कली कभी तू मत घबराना,
बन के सुमन तुझे है आना,
कोई आंसू देख सके ना, तू पत्थर सी मूरत बन जा।
वक्त से ऐसे लड़ते रहना, कल की एक जरूरत बन जा।।
धरती जैसे इस जीवन में सुख दुख घूम रहा है।
संकट में जो आज उसी को कल सुख चूम रहा है।
जीत समय को तू ऐसे कि सबकी प्यारी सूरत बन जा।।
कल की एक जरूरत बन जा, तू पत्थर सी मूरत बन जा।।
सीता का दुख और द्रोपदी अपनी महक लिए है।
जितना भी तपता है सोना उतनी चमक लिए है।
वैसे जूझ, बसो यादों में, सबके लिए मुहुरत बन जा।।
कल की एक जरूरत बन जा। तू पत्थर सी मूरत बन जा।।
बन के सुमन तुझे है आना,
कोई आंसू देख सके ना, तू पत्थर सी मूरत बन जा।
वक्त से ऐसे लड़ते रहना, कल की एक जरूरत बन जा।।
धरती जैसे इस जीवन में सुख दुख घूम रहा है।
संकट में जो आज उसी को कल सुख चूम रहा है।
जीत समय को तू ऐसे कि सबकी प्यारी सूरत बन जा।।
कल की एक जरूरत बन जा, तू पत्थर सी मूरत बन जा।।
सीता का दुख और द्रोपदी अपनी महक लिए है।
जितना भी तपता है सोना उतनी चमक लिए है।
वैसे जूझ, बसो यादों में, सबके लिए मुहुरत बन जा।।
कल की एक जरूरत बन जा। तू पत्थर सी मूरत बन जा।।
7 comments:
जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 31/08/2018
को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31-07-2018) को "सावन आया रे.... मस्ती लाया रे...." (चर्चा अंक-3049) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
तूं पत्थर सी मूर्त बनजा।
बहुत खूब।
उम्दा रचना बेहतरीन भाव ढेरों शुभकामनाएं सुमन जी
अच्छी संदेशप्रद कविता
वाह बहुत खूब
वाह बहुत खूब
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