गीत सभी के अपने-अपने, अपना राग सुनाते लोग
खुद को तकरीरों से ढँककर, दूजे को समझाते लोग
सोच किसी के भीतर कैसा, क्या बाहर से दिखता है
चेहरे पे मुस्कान ओढ़कर, अक्सर क्यूँ भरमाते लोग
जाल बिछाते प्यार के ऐसे, ताकि कुछ सहयोग मिले
सीढ़ी - सा उपयोग करे फिर, तोड़ उसे बढ़ जाते लोग
आसानी से मिलते दुश्मन, दोस्तों की पहचान कठिन
मित्र-वेष में कुछ मिलते जो, भीतरघात कराते लोग
इन बातों की फिक्र छोड़कर, आगे बढ़ते रहो सुमन
राह बना लो ख़ुद की खुद से, पीछे दौड़े आते लोग
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