मैंने कब चाहा है तुझको,
क्यों साथ हमेशा रहती हो।
मैं जितना दूर गया तुझसे,
तू पीछे पीछे चलती हो।।
ना रूप - रंग है पास मेरे,
फिर भी मुझपे तू मरती क्यों।
क्या मिलता है मुझसे, तुझको,
तू प्यार हमेशा करती क्यों।।
तुमसे मैं लड़ना भी चाहा,
पर लड़ते लड़ते हार गया।
है नाव वही, माझी भी वही,
भवसागर में पतवार गया।।
जीवन भर साथ मिला तेरा,
अब तू जीवन की आदत हो।
मैं मनमानी कर ना पाऊँ,
तू सचमुच एक हिदायत हो।।
मैं फक्र से कहता हूँ सबको,
तुझसे ही सुमन, चमन मेरा।
अब हाथ जोड़कर खड़ा प्रिये,
ऐ विपदा! तुझे नमन मेरा।।
क्यों साथ हमेशा रहती हो।
मैं जितना दूर गया तुझसे,
तू पीछे पीछे चलती हो।।
ना रूप - रंग है पास मेरे,
फिर भी मुझपे तू मरती क्यों।
क्या मिलता है मुझसे, तुझको,
तू प्यार हमेशा करती क्यों।।
तुमसे मैं लड़ना भी चाहा,
पर लड़ते लड़ते हार गया।
है नाव वही, माझी भी वही,
भवसागर में पतवार गया।।
जीवन भर साथ मिला तेरा,
अब तू जीवन की आदत हो।
मैं मनमानी कर ना पाऊँ,
तू सचमुच एक हिदायत हो।।
मैं फक्र से कहता हूँ सबको,
तुझसे ही सुमन, चमन मेरा।
अब हाथ जोड़कर खड़ा प्रिये,
ऐ विपदा! तुझे नमन मेरा।।
No comments:
Post a Comment