Saturday, December 29, 2018

जो दिन को भी रात करे है

दुखियों पर आघात करे है
वो विकास की बात करे है

गद्दी पाने खातिर देखो
भाषण की बरसात करे है

मंचों पर रोते तो लगता
भाषण इक नवजात करे है

कब सुनता वो किसके मन की
लेकिन मन की बात करे है

है विकास की ऐसी आँधी
जो दिन को भी रात करे है

उसके जैसा ना बोलो तो
झगड़ा भी बेबात करे है

मगर प्यार की खुशबू खातिर
सुमन सभी कुछ कात करे है 

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