दुखियों पर आघात करे है
वो विकास की बात करे है
गद्दी पाने खातिर देखो
भाषण की बरसात करे है
मंचों पर रोते तो लगता
भाषण इक नवजात करे है
कब सुनता वो किसके मन की
लेकिन मन की बात करे है
है विकास की ऐसी आँधी
जो दिन को भी रात करे है
उसके जैसा ना बोलो तो
झगड़ा भी बेबात करे है
मगर प्यार की खुशबू खातिर
सुमन सभी कुछ कात करे है
वो विकास की बात करे है
गद्दी पाने खातिर देखो
भाषण की बरसात करे है
मंचों पर रोते तो लगता
भाषण इक नवजात करे है
कब सुनता वो किसके मन की
लेकिन मन की बात करे है
है विकास की ऐसी आँधी
जो दिन को भी रात करे है
उसके जैसा ना बोलो तो
झगड़ा भी बेबात करे है
मगर प्यार की खुशबू खातिर
सुमन सभी कुछ कात करे है
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