अब सुन सुन के बीमार, दोषी पिछली सरकार।
क्यों घर - घर भ्रष्टाचार, दोषी पिछली सरकार।।
शासन अच्छे से कहाँ हुआ, केवल भाषण ही यहाँ हुआ।
आपस की मिल्लत तोड़े जो, कहते अनुशासन यहाँ हुआ।
नित बढ़ती क्यों तकरार, दोषी पिछली सरकार।।
ये धरम तो एक बहाना है, गद्दी पर लगा निशाना है।
जब राजनीति बहती गंगा, अवसर पे खूब नहाना है।
क्यों आमलोग लाचार, दोषी पिछली सरकार।।
पहले था शासक पढ़ा हुआ, अब समाचार भी गढ़ा हुआ।
बच्चे तक नहीं सुरक्षित हैं, अपराधी का मन बढ़ा हुआ।
महिला पर अत्याचार, दोषी पिछली सरकार।।
शासक विदेश जब जाते हैं, चर्चा विशेष ही पाते हैं।
पूरी दुनिया तो घूम लिया, क्या नव-निवेश ला पाते हैं?
क्यों मंदा है व्यापार, दोषी पिछली सरकार।।
सब भीतर भीतर घायल है, सबके होंठों पे साँकल है।
इस हालत में जीना कैसे, ये सोच सुमन भी पागल है।
हैं नौजवान बेकार, दोषी पिछली सरकार।।
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