राम तुझे जितना भी समझा, कर्म तुम्हारे नेक।
प्रजा और सम्बन्धी खातिर, न्याय तुम्हारा एक।
अभी क्यों दिखते रूप अनेक?
तुम मेरे, शिव सैनिक कहते, वी एच पी के संगी।
और भाजपा अपना कहते, ऐसा ही बजरंगी।
लेकिन राम सभी के तुम हो, दे दो इन्हें विवेक।
अभी क्यों दिखते रूप अनेक?
प्रजा और सम्बन्धी खातिर, न्याय तुम्हारा एक।
अभी क्यों दिखते रूप अनेक?
तुम मेरे, शिव सैनिक कहते, वी एच पी के संगी।
और भाजपा अपना कहते, ऐसा ही बजरंगी।
लेकिन राम सभी के तुम हो, दे दो इन्हें विवेक।
अभी क्यों दिखते रूप अनेक?
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