साधो! डूब रही है नाव।
इस कारण से तल्ख हुआ है, तेरा नित बरताव।।
साधो! डूब -----
नहीं देखना पड़ता ये दिन, सुनते अगर सुझाव।
प्रतिद्वंदी को माना दुश्मन, करते रहे बचाव।।
साधो! डूब -----
क्या लिखना, क्या खाना हमको, देते व्यर्थ दबाव।
हम सब साथ रहे सदियों से, करते क्यों अलगाव।।
साधो! डूब -----
उनकी भी बातें सुन लेना, भोगे रोज अभाव।
कभी नहीं मंजूर सुमन को, आपस का बिखराव।।
साधो! डूब -----
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