जिनसे होता प्यार हमारा
उनसे ही तकरार हमारा
अपने अपने ढंग से हमने
बसा लिया संसार हमारा
पद, पैसा, प्रभुता के आगे
बदल रहा व्यवहार हमारा
अक्सर कहते जो अपने थे
भूल गया उपकार हमारा
धोखाधड़ी अगर रिश्तों में
जीना है दुशवार हमारा
कठिनाई सिखलाती हमको
जो जीवन आधार हमारा
लड़ते रहो सुमन हालत से
समझो क्या अधिकार हमारा
उनसे ही तकरार हमारा
अपने अपने ढंग से हमने
बसा लिया संसार हमारा
पद, पैसा, प्रभुता के आगे
बदल रहा व्यवहार हमारा
अक्सर कहते जो अपने थे
भूल गया उपकार हमारा
धोखाधड़ी अगर रिश्तों में
जीना है दुशवार हमारा
कठिनाई सिखलाती हमको
जो जीवन आधार हमारा
लड़ते रहो सुमन हालत से
समझो क्या अधिकार हमारा
1 comment:
संदेशप्रद रचना।
बहुत खूब।
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है 👉 ख़ुदा से आगे
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