लाठी, गोली, मीडिया, जब राजा के साथ।
आमलोग जगते तभी, और मिलाते हाथ।।
तल्ख बोलियां बोलकर, क्या देते संदेशॽ
जितना तेरा देश है, उतना मेरा देश।।
निर्णय राजा का सही, फिर क्यों भय, संत्रासॽ
यह क्या सबका साथ है, या सबका विश्वासॽॽ
जनता के विश्वास का, उचित नहीं तौहीन।
जिसने गद्दी दी तुझे, मुमकिन वो ले छीन।।
छीन लिया तू ने अभी, लोगों का सुख चैन।
विवश लोग को देखकर, सुमन बरसते नैन।।
आमलोग जगते तभी, और मिलाते हाथ।।
तल्ख बोलियां बोलकर, क्या देते संदेशॽ
जितना तेरा देश है, उतना मेरा देश।।
निर्णय राजा का सही, फिर क्यों भय, संत्रासॽ
यह क्या सबका साथ है, या सबका विश्वासॽॽ
जनता के विश्वास का, उचित नहीं तौहीन।
जिसने गद्दी दी तुझे, मुमकिन वो ले छीन।।
छीन लिया तू ने अभी, लोगों का सुख चैन।
विवश लोग को देखकर, सुमन बरसते नैन।।
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