मत ज्यादा कर तकरार, विरोधी चुप रहना।
जबतक हमरी सरकार, विरोधी चुप रहना।।
ये तर्क नया गढ़ लाते हैं, फिर बेफजूल बतियाते हैं।
पुरखों का दोष गिना करके, मनमर्जी राज चलाते हैं।
खुद घोषित चौकीदार, विरोधी चुप रहना।
जबतक हमरी सरकार----
जिस नौजवान से ताकत है, अब उनपे ही तो आफत है।
सड़कों पे चीख रहे बच्चे, पर नहीं कहीं कुछ राहत है।
सच कहता क्या अखबार, विरोधी चुप रहना।
जबतक हमरी सरकार-----
वो जुल्म करें जी भर भरके, हक लेंगे हम भी लड़ लड़के।
कर देती जनता न्याय सुमन, नामुमकिन जीना डर डरके।
ये खुद वकील, मुख्तार, विरोधी चुप रहना।
जबतक हमरी सरकार -----
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