मिली जीत फिर मुस्कुराने लगे हैं
आवाज सबकी दबाने लगे हैं
दिखाए थे सपने सुनहरे दिनों के
अमावस को पूनम बताने लगे हैं
सभी अंग शासन का पंगु बनाया
लोगों को अब ये सताने लगे हैं
बड़ा कौन मज़हब इन्सानियत से
इन्सान बनने में जमाने लगे हैं
फ़रिश्ते नहीं तुम सुमन चेत जाओ
समय पर सभी के ठिकाने लगे हैं
आवाज सबकी दबाने लगे हैं
दिखाए थे सपने सुनहरे दिनों के
अमावस को पूनम बताने लगे हैं
सभी अंग शासन का पंगु बनाया
लोगों को अब ये सताने लगे हैं
बड़ा कौन मज़हब इन्सानियत से
इन्सान बनने में जमाने लगे हैं
फ़रिश्ते नहीं तुम सुमन चेत जाओ
समय पर सभी के ठिकाने लगे हैं
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