हम करते हैं सहर की बात
तुम करते क्यूं जहर की बात
शांत समन्दर से समाज में
पैदा करते लहर की बात
सदा काल्पनिक डर दिखलाकर
करते रहते कहर की बात
प्यार, मुहब्बत जिसकी थाती
हम करते उस शहर की बात
तरस रही पानी को जनता
वादों में है नहर की बात
हो समाज समरस भारत में
वो दिन, वैसे पहर की बात
बात सुमन लोगों तक पहुंचे
कभी सोच मत बहर की बात
तुम करते क्यूं जहर की बात
शांत समन्दर से समाज में
पैदा करते लहर की बात
सदा काल्पनिक डर दिखलाकर
करते रहते कहर की बात
प्यार, मुहब्बत जिसकी थाती
हम करते उस शहर की बात
तरस रही पानी को जनता
वादों में है नहर की बात
हो समाज समरस भारत में
वो दिन, वैसे पहर की बात
बात सुमन लोगों तक पहुंचे
कभी सोच मत बहर की बात
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