दिल में ऐसा प्यार लिए है
हाथों में तलवार लिए है
राम करे साबित खुद को पर
रावण का किरदार लिए है
बदले रोज मुखौटे इतने
मायावी विस्तार लिए है
घर से निकले डर - डर नारी
डर भी इक आकार लिए है
तार - तार है आम - भरोसा
फिर भी वो अखबार लिए है
शासक को डर से कुछ बोले
भगवन् का अवतार लिए है
लेकिन सुमन हृदय में अपने
जीने का अधिकार लिए है
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