अबकी बार वसंत खास है
फूल, पत्तियाँ तक उदास है
दीवारों में कैद बस्तियाँ
शासन का सुन्दर प्रयास है
छोटी होती हर दिन रोटी
साथ सभी के यह विकास है
पस्त प्रजा की ऑंखें vसूनी
शासक के घर सदा रास है
भूली जनता अपनी ताकत
अवतारों पर लगी आस है
मत भूलो ये जहाँ अँधेरा
वहीं नया होता उजास है
प्रेमगीत लिखना मुश्किल जब
दिखे सुमन दुख आस पास है
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