Thursday, February 13, 2020

मैं तुम्हारी नींव का पत्थर हूं

कल जैसा था आज उससे बदतर हूं।
जबकि मैं तुम्हारी नींव का पत्थर हूं।

मैं कमाता हूं तुम खाते हो,
मेरी बदनसीबी के गीत गाते हो,
तुम्हारे बच्चे पढ़ते हैं
और मेरे बच्चेॽ
तुम्हारे बच्चों की खुशी के लिए
नये नये खिलौने गढ़ते हैं।
फिर तुम ही साबित क्यों करते कि
मैं तुमसे कमतर हूं।
जबकि मैं तुम्हारी नींव का पत्थर हूं।।

मेरा वोट, मुझे ही चोटॽ
तेरे मन में देखा हमेशा ही खोट,
मेरे घर में फाकाकशी,
और तेरे घर में नोट ही नोट।
तुम चमकते हो, और चमको
पर मत भूलो कि मैं अहंकार का कातिल
और विनम्रता का रहबर हूं।
क्योंकि मैं तुम्हारी नींव का पत्थर हूं।

1 comment:

Rohitas Ghorela said...

सही का हम जिसे राजनेता बनाते हैं वो हमें ही भूल जाते हैं। जबकि हम उनकी नीव के पत्थर होते हैं।
बहुत खूब ।

आइयेगा- प्रार्थना

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