दर्द सभी के, मर्ज सभी के
अपने-अपने तर्ज सभी के
करने को मिहनत सब करते
क्यों सर पे है कर्ज सभी के
डूब रहा बैंकों में पैसा
कौन सुनेगा अर्ज सभी के
शासक की इक गलत नीति से
कितने होते हर्ज सभी के
समझाते हैं सभी सुमन को
देखो मत क्या फर्ज सभी के
अपने-अपने तर्ज सभी के
करने को मिहनत सब करते
क्यों सर पे है कर्ज सभी के
डूब रहा बैंकों में पैसा
कौन सुनेगा अर्ज सभी के
शासक की इक गलत नीति से
कितने होते हर्ज सभी के
समझाते हैं सभी सुमन को
देखो मत क्या फर्ज सभी के
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