मैं बार बार तपता हूँ,
पिघलता हूँ और एकबार
फिर से तैयार हो जाता हूँ
पुनः तपने और पिघलने के लिए।
मैं हमेशा चाहता हूँ
तुझे बचाना ताकि मुझे
तेरा सान्निध्य मिलता रहे बारम्बार।
ऐ बाती ! क्या तुझे एहसास हैॽ
कि मोम बार बार तपता है,
पिघलता है फिर तैयार हो जाता है
तुम्हारे साथ चलने को, जलने को,
ठीक मेरी और तुम्हारी तरह।
पिघलता हूँ और एकबार
फिर से तैयार हो जाता हूँ
पुनः तपने और पिघलने के लिए।
मैं हमेशा चाहता हूँ
तुझे बचाना ताकि मुझे
तेरा सान्निध्य मिलता रहे बारम्बार।
ऐ बाती ! क्या तुझे एहसास हैॽ
कि मोम बार बार तपता है,
पिघलता है फिर तैयार हो जाता है
तुम्हारे साथ चलने को, जलने को,
ठीक मेरी और तुम्हारी तरह।
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