Sunday, January 3, 2021

चाल मगर सुल्तानी है

जिद्दी  वो  बन  जाता  अक्सर, जो  मन  से अज्ञानी है
मन  से  तानाशाह  बने  वो, फिर  करता  मनमानी  है

जोड़-तोड़  से हासिल ताकत, करने में जो सफल हुए
भला किसी की कब वो सुनता, बस करता नादानी है

दफ्न  कहानी  चंगेजों  की, हिटलर  की इतिहासों में
इस  राजा  ने  सुना  ही  होगा, चाल मगर सुल्तानी है

मत समझो तौहीन है झुकना, पेड़ झुके फलवाले ही
अज्ञानी  ऐंठन  में  लेकिन, समझे  खुद  को ज्ञानी है

अलख जगाना कलम-धर्म है, ताकि लोग सभी जागे
अभिमानी  भी जगे समय पे, सुमन आँख में पानी है

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