Sunday, January 3, 2021

जिन्दा इक इन्सान हो

नए साल में सकल विश्व की पीड़ा का अवसान हो
मिले कहीं विपरीत सोच तो उसका भी सम्मान हो

इस जीवन का मूल प्रेम है दुनिया चलती प्रेम से
प्रेम-सुधा बरसे हर दिल में ऐसा नित भगवान हो

सबके घर में दुख से लड़के ही खुशियाँ आ पातीं हैं
मिल के कोशिश अगर करें तो हर चेहरे मुस्कान हो

मानव और पशु की चर्या लगभग एक समान है
बस विवेक से श्रेष्ठ है मानव सबको इसका ज्ञान हो

कोशिश में है सुमन हमेशा ऊँच नीच का भेद मिटे
आदम-रूप में सबके भीतर जिन्दा इक इन्सान हों

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