Friday, May 28, 2021

खुद का है अपमान वही

जो भी  है अज्ञात जगत में, भूत, भाग्य, भगवान वही
डर - डर  के  जीते जो अपना, कर लेते नुकसान वही
सुनी-सुनायी बातों से क्या, नूतन अनुभव मिले सुमन
बिनु अनुभव विश्वास करोगे, खुद का है अपमान वही

सुख-दुख जीवन की थाती है, आना-जाना लगा हुआ
सफल  हुए  तो खुश हो लेते, या पछताना  लगा हुआ
खट्टे - मीठे  सारे  अनुभव, निज - कर्मों  से  मिलता है
कारण  ये  जो जीवन  भर का, रोना - गाना लगा हुआ

पाखंडों  में  उलझ  गए  तो,  जीवन  समझो  भारी  है
अपने  भीतर  झाँक  लिया  तो, इसमें  दुनिया सारी है
चश्मा  है  रंगीन  अगर तो, सच दिखना मुश्किल होता
हंस - भाव  से  देख सभी को, दुनिया कितनी प्यारी है

यूँ  व्यक्तित्व  बनाते  हम  सब, मेरा  हो  आकार  बड़ा
कर्तव्यों  से  विमुख  लोग भी, माँग रहे अधिकार बड़ा
प्यार  लुटाकर ङव्यक्तित्वों की, परिधि बढ़ना संभव है
लोग  बड़े   उतने  ही  होते,  जितना  है  परिवार  बड़ा

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