बहुत दिनों से मचल रहा दिल, कोरोना के काल में
प्रेम गीत लिखना भी मुश्किल, कोरोना के काल में
दूर तलक हम मन बहलाने, दूरभाष से बतियाते
शायद कभी सजे फिर महफ़िल, कोरोना के काल में
मास्क हटे तो बात बनेगी, इक दूजे को देख सकें
आस पास में छुपा है कातिल, कोरोना के काल में
बात दूर की अब गलबाँही, नैन मटक्का भी सपना
जान की डर से बने हैं बेदिल, कोरोना के काल में
हे भगवान! उबारो सबको, प्रेम भरा जीवन फिर दो
सुमन का जीवन लगा है साहिल, कोरोना के काल में
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