बात बात में वो क्यों अपना गर्व दिखाते हैं?
उन्हें आईना रोज दिखाकर फर्ज निभाते हैं।
घायल जब मानवता हो तो, प्रेम गीत लिखना मुश्किल।
बेबस जनता हार रही जब, उसे जीत लिखना मुश्किल।
इतिहासों में काम सभी के दर्ज कराते हैं।
उन्हें आईना रोज -----
बेबस को हर रोज दबाना, अभी है जारी ताकत से।
महिमा-गान सुनाती खबरें, अबके सारी ताकत से।
मानव बनकर जीने का हम कर्ज चुकाते हैं।
उन्हें आईना रोज -----
सामाजिक परिवेश हो बेहतर, हम समाज के प्रहरी हैं।
कल भी थे हम, कल भी रहेंगे, और आज के प्रहरी हैं।
सुमन सोच के अंधों जागो अर्ज सुनाते हैं।
उन्हें आईना रोज -----
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