Thursday, July 22, 2021

चुल्लू भर की सिर्फ जरूरत

झूठ, झूठ बस झूठ चला है
अभी झूठ का सुमन खिला है

मेकअप हटते, रूप सियासी
क्रूर और बदरूप मिला है

जीवन सच है मगर मौत के
गिनती तक में भी घपला है

समाचार में आज अचानक
शासक का पलड़ा उछला है

चुल्लू भर की सिर्फ जरूरत
झूठ कलम से गर निकला है

पकड़ाए तो सीखो कहना
सब कानून गलत पिछला है

सहते सहते अब लोगों के
मन में क्रोध बहुत उबला है

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