अगर हुआ तेरा उत्थान,
मत समझो खुद को भगवान,
हक सबको है इस दुनिया में, अपने ढंग से जीने का।
तुझे दर्द केवल क्यों अपने, कुनबे और सफीने का??
राजा तबतक ही राजा है, प्रजा की जबतक रजा रहे।
उस राजा का राज है कैसा, भूखी जिसकी प्रजा रहे।
राज - वस्त्र है फटा कहीं तो, उसे प्यार से सीने का।
तुझे् दर्द क्यों केवल -----
जीवन है इक जंग हमेशा, सुख दुख में हम जीते हैं।
खुशियों के अमृत के सँग में, जहर गमों के पीते हैं।
पथरीले राहों पे चलकर, निकले काम करीने का।
तुझे दर्द क्यों केवल -----
काम कठिन है राज चलाना, बात सभी ये जाने हैं।
मुखिया मुख सा काम करे तो, सही राज के माने हैं।
आमजनों के साथ सुमन जो, समझे मोल पसीने का।
तुझे दर्द क्यों केवल -----
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