आँगन में जब मेघा बरसे।
इस धरती पर जीवन हरषे।।
आँगन में जब -----
मौसम से कुदरत की शादी, नये सृजन की है आजादी।
मिलने को अपने प्रीतम से, हिया, जिया सबका ही तरसे।
आँगन में जब -----
नूतन जीवन देता सावन, मौसम ये पावन, मनभावन।
विरह, मिलन की इस आशा में, बीत गए कितने ही अरसे।
आँगन में जब -----
प्यास धरा की, बादल रोता, हुआ जो पहले फिर से होता।
मिलन खुशी से हो आपस में, नहीं सुमन होता ये डर से।
आँगन में जब -----
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