Friday, April 1, 2022

हमेशा याद करता हूँ

मनोरम   प्यार   था   तेरा,  भुलाए   भूल   न पाता
तुम्हारी  झिड़कियों  की  वो, सदाएं  भूल  न  पाता
तेरी  गोदी  में सर रख के, जो सुख पाया कभी मैंने
वो  ममता  और  प्यारी - सी, अदाएं  भूल  न पाता

मैं कैसे खा सकूँ ज्यादा, तुझे हरदम फिकर इसकी
मेरे सर  बोझ हो आधा, तुझे हरदम फिकर इसकी
मुझे भी  प्यार तुमसे था, मगर तुमसे बहुत ही कम
हटे सब झट मेरी बाधा, तुझे हरदम फिकर इसकी

भले  तू   दूर  मुझसे  पर,  हमेशा   याद  करता  हूँ 
मैं  भगवानों  की  पूजा  भी, तुम्हारे  बाद करता हूँ 
तू  सपनों में सदा आओ, मुझे बस राह दिखलाओ
उसी  रस्ते  पे  चल  पाऊँ, यही  फरियाद करता हूँ 

अभी  तक  देर  से  सोने की, आदत भी नहीं छूटी
शिशु बन आज तक रोने की, आदत भी नहीं छूटी
तेरी  यादों  के  साये  में, सुमन  रोता  या  सोता है
तुम्हारी  याद  में  खोने  की, आदत  भी नहीं छूटी

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