अगर फिक्र है गुजर बसर की
बात करो मत इधर उधर की
काम मिले तो भूख मिटेगी
चाहत है दिल से अवसर की
कौन छीन ले किसकी दौलत
ऐसी हालत गाँव - नगर की
क्यों पहनाते केवल टोपी
इसके सर पे उसके सर की
चमकीले विज्ञापन से क्या
खुशियाँ लौटीं कभी शहर की
लोगों की आहों से डरना
बहुत जरूरत है इस डर की
लड़ने से हक मिले सुमन को
कर तैयारी उसी सफर की
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