Sunday, April 3, 2022

क्या सपनों के हो व्यापारी?

खास  लगी  इनकी  मुख्तारी, सच  बोलो
झूठ  लगा  कब  इनको भारी, सच बोलो 

सच  के  दम  पे शासक सदा सुशासन दे
मगर झूठ क्यों फिर भी जारी, सच बोलो

जन - जन  में  झूठे  सपनों को मत बाँटो 
क्या  सपनों  के  हो  व्यापारी, सच बोलो

भले बरक्कत दिखती कुछ दिन झूठों की
सच  पर  कब तक  पहरेदारी, सच बोलो

झूठ  बोलना  कला  आजकल दुनिया में
कितनी,  किसकी  साझेदारी, सच  बोलो

झूठ  बोलकर  ताज  अगर मिल जाए तो
फिर  करना  क्यों  परदेदारी,  सच  बोलो

इक  दिन  झूठेपन  पर  जीत  सुमन होगी
क्या  लड़ने  की  हिम्मत  हारी, सच बोलो

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