बहुत कठिन है उसे समझना,
क्योंकि वो बहुत ही विकट है,
पर सभी के दिलों के निकट है,
चाहे वो जितना भी विकट है,
पर उससे ज्यादा वो जीवट है,
न तो कभी किसी से डरता है,
और न वो कभी मरता है।
उसको मारने की हर कोशिश में,
वो और ताकतवर होकर,
बार बार जिन्दा होता है
और नाथूराम शर्मिन्दा होता है।
9 comments:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 04 अप्रैल 2022 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 04 अप्रैल 2022 ) को 'यही कमीं रही मुझ में' (चर्चा अंक 4390 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बेहतरीन...
सादर..
सच्ची बात ..... नाथूराम सही होते हुए भी शर्मिंदा होता रहेगा ।
बहुत सुंदर!
बहुत सुंदर!!!
बेहतरीन।ःसादर
सुन्दर प्रस्तुति
वाह!बहुत बढ़िया कहा 👌
सादर
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